ढिंढावली में हुआ आर्य समाज के वार्षिकोत्सव का समापन

बघरा क्षेत्र के ढिंढावली गांव  में भजनोपदेशिका कल्याणी आर्या को सम्मानित करते आचार्य गुरुदत्त आर्य।
मुजफ्फरनगर। बघरा क्षेत्र के गांव ढिंढावली में आर्य समाज के वार्षिकोत्सव के समापन पर पाखंड, अंधविश्वास और कुरीतियों को त्यागकर वैदिक संस्कृति  अपनाने का संकल्प लिया गया। युवा भजनोपदेशिका कल्याणी आर्या को उत्कृष्ट वैदिक प्रचार के लिए आचार्य गुरुदत्त आर्य ने सम्मानित किया।
ढिंढावली गांव के आर्य वैदिक कन्या इंटर कालेज में आयोजित तीन दिवसीय वार्षिकोत्सव के समापन समारोह में आचार्य गुरुदत्त आर्य ने कहा कि नारी की मर्यादा और सम्मान भारतीय संस्कृति का सशक्त आधार है। सीता, सावित्री, गार्गी, अनुसुइया, पन्नाधाय, रानी लक्ष्मी बाई आदि ने अपने चरित्र, आचरण, वीरता, बलिदान से राष्ट्र का गौरव बढ़ाया। बेटियों को सुरक्षित और संस्कारित माहौल दीजिये। वेदों के ज्ञान की उपेक्षा से देश में पाखंड, अंधविश्वास, ढोंग और फरेब बढ़ा है। गांव-गांव वेदों के दीपक जलाये, तभी जीवन में सत्य ज्ञान का प्रकाश फैलेगा। शुकतीर्थ के स्वामी सत्यवेश ने कहा कि जीवन में व्रत का अर्थ सत्य बोलना, वेदों को पढ़ना, धर्म का पालन, बड़ो की सेवा करना, यज्ञ करना और बच्चों का चरित्र निर्माण करना है। डॉ धीरज कुमार आर्य ने कहा कि माता-पिता  अपने आचरण और सद्गुणों से संतान को सदाचारी बनाये। भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि ऋषि दयानंद देशभक्त सन्यासी थे। आर्य समाज का प्रचार समाज में बढेगा, तभी समाज सुधार होगा। अशोक प्रबोध आर्य ने प्रभु भक्ति के प्रेरक भजन सुनाये।आचार्य अजीत कुमार ने कहा कि घर-घर यज्ञ होंगे, बच्चें संस्कारित बनेंगे। हिसार से आई भजनोपदेशिका कल्याणी आर्या ने कहा कि आदिकाल में परमात्मा ने मानव कल्याण को चार ऋषियों अग्नि, वायु, आदित्य और अंगिरा की आत्मा में ज्ञान का प्रकाश दिया। वेद भारत की सँस्कृति, सभ्यता, ज्ञान-विज्ञान का मूल सोत्र है। संस्था अध्यक्ष हरि किशन चौधरी, संसार सिंह आर्य, सतीश आर्य, संजीव आर्य, प्रधानाचार्या कौशल्या देवी,सचिन आर्य, धर्मवीर आर्य, यशपाल सिंह आर्य, हरि सिंह आर्य आदि मौजूद रहे। यज्ञमान अजित कुमार आर्य सपत्निक रहे। 
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