मुजफ्फरनगर। जनपद में यज्ञ पुरोहित के नाम से मशहूर पंडित बीरबल धीमान जी का लंबी बीमारी के चलते आज उनके निवास स्थान इंदिरा कॉलोनी में निधन हो गया है। उनके निधन के समाचार से पूरे समाज में शोक की लहर दौड़ गई और जिसको भी सूचना मिली वह उनके निवास स्थान की ओर रवाना हो गया। उन की शव यात्रा में भारी संख्या में लोगों ने पहुंचकर उनके अंतिम संस्कार में भाग लिया।
पंडित बीरबल जी का जन्म तहसील जानसठ के ग्राम नगला कबीर में स्वर्गीय श्री आशाराम धीमान के यहां हुआ था । आसाराम जी का मूल कार्य कृषि रहा। पंडित बीरबल जी की शिक्षा दीक्षा गांव में ही हुई। बीरबल जी तीन भाई बहन थे जिनमें सबसे बड़े पंडित बीरबल जी एवं इनकी दो बहन शांति देवी एवं विमला धीमान जी रही। शांति देवी का विवाह मोरना और और विमला देवी का विवाह रामराज में हुआ था। पंडित बीरबल जी की शादी जनपद मेरठ के कलावड़ा कला ग्राम में रामचंद्र जी की सुपुत्री मीना देवी से हुआ था। पंडित जी के चार संतान हुई जिनमें सबसे बड़े उनके पुत्र रामकुमार व पुत्री संतोष, रेखा एवं सुषमा है जिसमें वर्तमान में राम कुमार और रेखा का निधन हो चुका है। पण्डित जी के दो पोत्र व दो पोत्रियां है। पंडित जी ने अपने जीवन में बहुत संघर्ष किया पंडित जी कृषि विभाग में वरिष्ठ सहायक के रूप में कार्यरत रहे । 1993 में विभाग से सेवानिवृत्त हुए इसके बाद उन्होंने आर्य समाज में सेवा करने का कार्य किया। पंडित बीरबल जी 4 साल से काफी बीमार थे और बिस्तर पर ही रहे उनकी सेवा उनकी पुत्रवधू ने बहुत ही सेवा भाव से की जिसकी समाज में चारों और प्रशंसा है। पंडित जी का 88 वर्ष की आयु में आज दिनांक 7 अक्टूबर को प्रातः 3:30 पर हुआ और उनका अंतिम संस्कार 11:00 बजे शहर श्मशान घाट पर किया गया उनको मुखाग्नि उनके पौत्र सूर्यकांत धीमान ने दी उनके अंतिम संस्कार में समाज के वरिष्ठ लोगों ने पहुंचकर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। अंतिम संस्कार में भाग लेने वालों में श्री विश्वकर्मा धीमान सेवा संघ के अध्यक्ष निर्मल सिंह धीमान, उपाध्यक्ष विजेंद्र धीमान, महासचिव नरेश कुमार विश्वकर्मा पत्रकार, सेवाराम धीमान, प्रमोद धीमान, सतीश धीमान, विश्व हिंदू परिषद के प्रांतीय पदाधिकारी राधेश्याम विश्वकर्मा, ओम दत्त आर्य, नाथीराम धीमान, विजेंद्र धीमान अन्ति, डॉ राकेश धीमान, बृजपाल धीमान, मुकेश धीमान, ओम प्रकाश धीमान बीजेपी, आत्माराम धीमान, डॉ अमन सिंह धीमान, नरेंद कुमार, आदि मुख्य रूप से उपस्थित रहे। अंतिम संस्कार के समय सत्यव्रत आर्य ने मंत्रों के द्वारा अंतिम प्रक्रिया को संपन्न कराया उनका सहयोग पंडित अरविंद धीमान ने किया।